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Showing posts from September, 2020

अमर शहीद वीर भगत सिंह

अमर शहीद वीर भगत सिंह NAVNEET ।।  अमर शहीद वीर भगत सिंह   ।। लायलपुर बंगा में जन्में वीर भगत सिंह अमर शहीद चाचा अजित, श्‍वान सिंह संग ग़दर पार्टी से प्रेरित अहिंसा आँदोलन में हुए सम्मिलित ये उनका स्वाभाव न था चौरी चौरा की घटना ने था तब उनको झकझोर दिया क्रांतिकारी संगठन तैयार किया मिले बटुकेश्वर आज़ाद बिस्मिल  राह अलग ले चल पड़े आज़ादी के दीवानों संग मिल साइमन कमिशन विरोध से लेकर काकोरी कांड, सांडर्स को मारा सेंट्रल असेंबली में बम पर्चे फेंके क्रांति हेतु था सब छोड़ दिया जेल में जब तक रहे क्रन्तिकारी शब्द लिखते रहे क्रांति आज़ादी का स्वप्न लिए फाँसी पर तब झूल गए - नवनीत

बेटी

बेटी NAVNEET ।।  बेटी   ।। जनक-जननी का अभिन्न अंग बेटियाँ भगवान सी हैं हर अभिभावक के लिए बेटियाँ अभिमान सी हैं माता-पिता की सम्मान हैं बेटी आयुपर्यंत उनकी पहचान है बेटी सुता तो स्वयं ईश्वर का स्वरुप आजीवन संग छाँव हो या धुप तनया तात का लगाव अनूठा बेटियों के उड़ान की दृढ़ ढाल पिता होती हैं बेटियाँ जनक की दुलारी पापा की परी घर की प्यारी माँ लक्ष्मी की आकृति है बेटी समस्त देवियों की प्रकृति है बेटी आँगन में आए खुशियों का मौसम खेलें जो बेटी हर्षित हो मन - नवनीत

पायल

  पायल NAVNEET ।।   पायल   ।। कान्हा तेरे पैरों में पायल की खन-खन हाय रे रिझाती हैं यशोदा नंद का मन पहन पैंजनिया दशरथ आँगन चारों भ्रात खेलें तीनों मैया उर में आमोदता बिखेरें पायल की धुन रे मन को लुभाती है पाजेब बजती हैं मैया को भाती है इत-उत अठखेलियाँ करते हैं बालक पायल बताती हैं है कहाँ मनमोहक - नवनीत

मित्रता बनी रहे

मित्रता बनी रहे NAVNEET ।।  मित्रता बनी रहे   ।। मन के भाव मन की बातें यदा-कदा मन में हीं रहें तो अपेक्षाकृत अच्छा है मित्रता पर प्रभाव न हो दूसरों को घाव न हो हर बात ऐसी हो आपस में दुर्भाव न हो कहें बस इतना की दिल न दुखे सुहृदता का चिराग बुझाए न बुझे चलती रहे दुनियाँ ज्यों चलती है आपस में प्रेम भाव रहे सबसे बड़ी संतुष्टि है - नवनीत

झूठ

झूठ NAVNEET ।।  झूठ   ।। अश्वत्थामा मारा गया इति गज मन में कहा सत्य धर्म रक्षा हेतु झूठ भी आवश्यक था जिस झूठ से हो भला प्राणी धर्म समाज का वो झूठ झूठ नहीं द्योतक है इंसानियत का पाप, बोलना झूठ है पुण्य सच का रास्ता झूठ मात्र तब हीं सही उद्देश्य जब कल्याण का झूठ फिर भी झूठ है सच्चाई ईश्वर रूप है - नवनीत

भगवान शिव

भगवान शिव ।।   भगवान शिव   ।। कल्याण  के निधान हैं, त्रिताप पाप नाश शिव सरल हैं निश्छल हैं, साक्षात् भोलेनाथ शिव उमंग कंपन से पूर्ण, हैं नटराज शिव स्थिरता नि:शब्दता के, चिदंबरम हैं शिव   योगिक विज्ञान के, आदिगुरु आदियोगी दार्शनिक चिंतन अंतर्दृष्टि पूर्ण, त्रयंबक हैं शिव भय रव से पूर्ण, उनका भैरव रूप है मनोहर रूप पंचमुख, पंचवक्त्र हैं शिव   हालाहल विषपान कर, शितिकंठ नीलकंठ गज चर्म धारक, कृत्तिवासा हैं शिव भवरोग से मुक्ति हेतु, संसारवैद्य रूप है जटाओं में माँ गंग हैं, गंगाधर हैं शिव   जीवों की मिली जुली, अभिव्यक्ति पशुपति पौरुष स्त्रैण गुण में, अर्धनारीश्वर हैं शिव अकाल मृत्यु अपशकुन, निवारक वो मृत्युंजय दुःख नाशक क्रूर रूप, रूद्र भी हैं शिव   ओंकार रूप धारते, प्रधान देव महेश्वर तीनों लोक काल ज्ञानी, सर्वज्ञ हैं शिव अपात्रा सुपात्र धारक, कर कमल में कपाल सर्वगुण सम्पूर्ण हैं, परमात्मा हैं शिव

छत्रपति शिवाजी महाराज

  छत्रपति शिवाजी महाराज NAVNEET ।।   छत्रपति शिवाजी महाराज   ।। जुनार शहर शिवनेरी दुर्ग में परिवेश खुशियों का आया था शाहजी जीजाबाई के घर रत्न जब वो आया था   वीर शिवाजी नाम था उनका दुश्मन जिनसे थर्राया था असाधारण वीरता , त्याग, बलिदान से भारतभूमि को था धन्य किया   आदिलशाही सल्तनत की अधीनता स्वीकार ना थी छत्रपति वीर शिवाजी की महानता निर्विवाद रही   मावल क्षेत्र में बना के सेना सह्याद्रि में सैन्य प्रयास किया वीर मराठों की सेना ने तब कितनों को परास्त किया   तोरणा कोंडाना जावली बीजापुर संघर्ष से जीता सिंघाड़, पोंडा, कारवार कोल्हापुर पर कब्जा किया   मुगलों ने कई चाल चले औरंगज़ेब ने चक्रव्यूह रचे अपने पराक्रम एवं कुशलता से सदा रहे बचे   छापामार युद्ध में वीर शिवाजी सा कोई तुल्य न था अफजल मारा, शाहिस्ता हराया साहस का कोई मूल्य न था - नवनीत

रेजांग ला

  रेजांग ला NAVNEET ।।   रेजांग ला   ।। चुशूल घाटी रेजांग ला का दर्रा थरथराया था तेरह कुमाऊं के वीर पुत्रों ने लद्दाख को तब बचाया था   तड़के सुबह अठारह नवम्बर गोलाबारी शुरू हुई छह हज़ार थी चीनी फौज एक सौ बीस वीर - अहीर   यह वक़्त था शपथ निभाने का माँ भारती को बचाने का चार्ली कंपनी के बहादुरों नें मोर्चा तब संभाला था   जांबाज़ी से लड़े थे वीर हुए थे उस रोज़ आक्रमण तीन एक कहर सा आया था दहशत में था   उस दिन चीन   थी सामने दीवार सी चोटी गोले बारूद थे ख़त्म हुए चाकू-छुरे और पत्थरों से तब जवान थे लड़ पड़े     नंगे हाथों तब युद्ध किया शैतान सिंह न क्षुब्ध हुआ राम सिंह के मल्ल - युद्ध से दुश्मन था विलुप्त हुआ   हुए शहीद एक सौ चौदह मार गिराए थे तेरह सौ एक एक ने दस को मारा था वीर-सेना-परमवीर चक्र पाया था - नवनीत

रात अंगराई ले रही थी

रात अंगराई ले रही थी NAVNEET ।।  रात अंगराई ले रही थी   ।। रात अंगराई ले रही थी तारे भी सो चुके थे ज़िद में शब्दों की दुनियाँ में हम भी खो चुके थे ज़िद थी कुछ लिखने की हठ था सोचने का चाँद-चाँदनी को देख विचार बहुतेरे आ रहे थे ज़िद थी बादलों की भी नभ पर छाए जा रहे थे चाँद छुपा जा रहा था सोचते कैसे, विचार हिलोरे खाए जा रहे थे - नवनीत

ज़िद

ज़िद   NAVNEET ।।  ज़िद   ।। ज़िद थी आज़ादी की कि कई फाँसी पर झूल गए ज़िद थी अपनों की सेवा इसलिए अपनों को भूल गए ज़िद थी की भारत माता ज़ंजीरों से आज़ाद रहें ज़िद थी देश का हर नागरिक खुश रहे आबाद रहे ज़िद उनकी की हम स्वतंत्र ज़िद उनकी की हम गणतंत्र ज़िद को उनके दें सम्मान मिल रहे देश का हर इंसान - नवनीत

सोच

सोच   NAVNEET ।।  सोच   ।। जब सच की राह पर चलते हैं स्वयं को न बदलते हैं ये बात उन्हें पसंद नहीं वो कठिनाई पैदा करते हैं राह दुष्कर हो जाता है कभी कभी यूँ है लगता कुछ भी समझ न आता है पर उसी राह पर चलते हैं कभी लगता है ऐसे क्यों हैं क्या स्वयं को बदल नहीं सकते पर बदलें भी तो कैसे हम पहचान मेरी तो है यहीं हर भांति के लोग यहाँ किसी का जीवन झूठा है कोई सच के राह पर चलता है ये सोच है अपनी अपनी तुम अपने मार्ग पर चलते हो हम राह पर अपने अडिग रहें न मेरी सोच से तुम बिखरो न तेरी सोच से हम उखड़ें - नवनीत