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Showing posts from July, 2023

हवस

यह गफलत क्यों है यूं शिकायत क्यों है यूं सताना बता भला तुम्हारी आदत क्यों है मन में मेरे आज भी जाने क्यों संशय है तू समझती नहीं मुझे कैसा तुम्हारा हृदय है तुम्हें पाने की जो मैं एक अभिलाषा रखता हूं ये हवस नहीं प्रेम है मेरा तुम्हें अपना समझता हूं सर से पांव तक बस तुम्हें चुमना चहता हूं आंखें बंद कर तुम्हारे जिस्म में डूबना चाहता हुं मेरे लिए वो एक मंदिर पवित्रता जैसे गंगा सी मेरे लिए वस्तु पूजा की जिस्म तुम्हारा, आत्मा तेरी भर कर तुम्हें अपनी बाहों में हर गम तुम्हारे पास से ले लूं जो भी खुशियां मेरे जीवन में आ लिपट जा, तुम्हें सारे दे दूं डूब जाएं एक दूसरे में हम इस कदर, कुछ याद न रहे प्रेम तो तुम्हें भी मुझसे है लब तुम्हारे कहें, ना कहें आत्मा तुम्हारा है आत्मीय मुझको आदतें भी तुम्हारी, है प्रिय मुझको परंतु पाना शरीर, तेरा मेरा लक्ष्य नहीं चाहता हूं तुम्हें, जिस्म की हवस नहीं जिस्म का मिलना एक आधार है तुम तो मुझे सदैव हीं स्वीकार है जिस्म जब एक हो जायेंगें हमारे एक हो जायेंगें, नभ चांद तारे

धोखा

अब वो पल मुझे याद न आएं अब उनकी याद पास न आए न आऊंगा कभी बातों में अब मैं धोखा न खाऊंगा कभी अब अदाओं से अपनी मुझको रिझाया अपनापन दिखा मुझे अपना बनाया तोड़ मेरे दिल को उन्होंने क्या पाया हंसती रहीं खुद और मुझको रुलाया मैंने किया उनपर विश्वास हरपल दिया साथ उनका हरेक मोड़ पर दामन कभी मैंने छोड़ा न उनका मेरी हीं किस्मत गए छोड़ मुझे वो यहीं नियति सच यहीं तो नियत है यहीं हैं खिलाड़ी यहीं खेल सब है यहां मन तुम्हारा खिलौना है केवल यहां भावनाओं की कदर हीं नहीं है एक प्रयोग बस तेरी जिंदगानी इतनी सी छोटी सी तेरी कहानी न समझा इसे तू ये गलती है तेरी ये आंसु तुम्हारे यूं हीं व्यर्थ नहीं हैं

छल

इंसान नहीं समझता हूं नहीं मैं मन पढ़ पाता हूं विश्वास कर लेता सबपर छल इसलिए हीं पाता हूं न प्रेम, न हीं खेल समझता हूं बस दिल का मेल समझता हूं मैं ऐसा जो हमेशा समझता हूं बस इसलिए छल पा जाता हूं प्रयोग किया और त्याग दिया सबनें मुंह अपना मोड़ दिया सब कुछ छोड़ा जिसके लिए उसनें हीं मुझको छोड़ दिया जाने से पहले मेरे मन में एक डर का बीज बो गए कैसा बीता अपना वो पल पल जिसमें मुझे छोड़ गए भयानक वो एक सपना था जो अपना है वो अपना था कल याद मुझे जब आती है कांप रूह यह तब जाती है विश्वास किया, साथ दिया उसने भी ये आभास दिया न कोई छल कपट मन में सहा, न उनको आंच दिया भावनाओं से वो खेल गए अच्छा हुआ सब झेल गए अब शपथ ली ये जीवन में बसेगा नहीं कोई मेरे मन में पर यह प्रार्थना है तेरे लिए जीवन में बस खुशहाली हो तू राह में अपने पाए प्रगति हर पल संग में हरियाली हो

मौसम

मौसम में डूब गया था मैं जीवन से ऊब गया था मैं रंग बदलता है यह मौसम रंग बदलता है यह जीवन पर मौसम का परिवर्तन खुशहाली का है द्योतक जीवन का रूपांतर भी प्रगति का मार्ग सार्थक समायोजित करता बदलना प्राकृतिक है मगर मचलना रह साथ आता सदा विश्वास मौसम जीवन दोनों हीं खास

मेरी कहानी

बस इतनी सी है कहानी किसी और को समर्पित दूसरों की हीं तो निशानी यह जीवन मेरा है अर्पित कदापि न सोचा अपना क्या न सोचा परहित से होगा क्या न हुआ कभी ये मन विचलित न भटका राह से अपनें किंचित कैसे भी भले रहें हो पल कर्म सदैव पर मेरे निश्छल सर्वदा दिया साथ विश्वास स्वभाव में है नहीं आघात क्या हुआ नहीं देखा पलट क्या किया न सोचा सिमट क्या कहा गया, चिंता नहीं कुछ सुना भी तो भूल गया बातें तो हां हृदय में बसती हैं कुछ पल तो सच में डसती हैं पर वक्त सा न कोई मरहम है मिट जाता वक्त से हर रंज है यह पथ कभी आसान नहीं कठिनाइयां हैं, विश्राम नहीं बहुत कुछ सहना पड़ता है और चुप हीं रहना पड़ता है कोई होता नहीं समझने को तत्पर पर हैं कई उलझने को मन मस्तिष्क रहे शांत नहीं पर जीवन में रहता भ्रांत नहीं और पहिया है चलता रहता मग में वाहक से यह कहता है राह जटिल तू बढ़ता चल तू घने वृक्ष का नूतन कोंपल समाई तुझमें हीं वो पत्ती है जो सोखती सारी विपत्ति है तू शुद्ध हवा का है द्योतक है गीता सा पवित्र पुस्तक

ये पल बीत जाएगा

अभी उफनता समुद्र है माना की दूर किनारा है हारने की पर सोचना मत तू नाविक, तू ही सहारा है मन तुम्हारा हां भटकेगा निराशा भी पास आएंगी घबराना मत ठहरना मत तू चल मंजिल को पाएगी सब कुछ तुझको हासिल है तुम सब करने में काबिल हो हां भीतर तेरे वह ज्वाला है तुने सब कुछ हीं संभाला है तेरे राह में कितने कांटे हो हम मिलकर सबको पाटेंगें जब पुष्प बिछेगी राहों में खुशियों को मिलकर बाटेंगे तेरी खुशियां मेरा सहारा है मुस्कान जीवन की धारा है ये पल भी बीत हीं जाएगा तुम बस जैसी, वैसी रहना

बदला हुआ शहर

देखा देखा सा लगता है यह शहर लोग वहीं हैं, मगर पहचानते नहीं था किया बहुत इन राहों पर सफ़र उधर जाते थे, अब जाते और कहीं है बदल गया यहां हर एक मंजर जहां वृक्ष थे, अब सड़के हैं वहीं जहां थे चहचहाते पंछी अनगिनत बस वाहनों की आवाज़ आती रही वह गलियां, अब गलियां नहीं रही हर बचपन मकानों में खो गया कहीं खुले हुए वो मैदान आखिर गए कहां अब खेलते बच्चे नज़र न आते यहां कहां गए वो किराने वाले सेठ जी ये आलीशान मॉल पहले था नहीं दिखता नहीं वो आम पन्ना वाला शीतल पेय ने बाज़ार बदल डाला

मेरा मन

सहमी सी कुछ यादें हैं अनकही कुछ बातें हैं मंजर कई थे मिले परंतु कह न सका वो बातें मैं हर कदम मैंने तेरा साथ दिया अपनापन दिया, विश्वास दिया खुशियां हर पल, न आंसु दिए कर सकता जो, किया तेरे लिए मन में मेरे कोई भाव न था कुछ पाने का स्वभाव न था सुना बहुत मैंने पर साथ दिया थी चोट लगी, पर घाव न था चक्र वक्त का चलता रहा हर पल मैं तेरे साथ रहा आंखें उठीं, थी बातें बनी मैं हिम सा पिघलता रहा हैं बहुत सहे ताने दुनिया के कहता हर कोई है तू शातिर पर मेरा विश्वास पूर्ण तुझपर कुछ भी कर दूं तेरी खातिर मैंने तुझमें सच्चाई है देखी मन में तेरे तन्हाई है देखी हां देखा तुझको मैंने चहकते पर आंखों में रुसवाई भी देखी कैसे मैं छोड़ देता तेरा साथ आया शायद थामने तेरा हांथ और आज का दिन, खुश हूं मैं सच, तू आगे बहुत है जीवन में अब तुम्हें जब देखता हूं तो लगता आराधना सफल हुई अब जी लेगी जीवन अपना मेरी यह प्रार्थना सफल हुई मैं तो बस एक डोर हीं था स्वयं में मैं कमजोर हीं था पर ठान लिया था मैने भी राहें तेरी नहीं कठिन होगी एक पथ आया था जीवन में सोचा, अब आगे बढ़ जाऊंगा तेरी याद दबा कर सीने में मैं तुझसे दूर चला जाऊंगा पर ल...