ये पल बीत जाएगा
अभी उफनता समुद्र है
माना की दूर किनारा है
हारने की पर सोचना मत
तू नाविक, तू ही सहारा है
मन तुम्हारा हां भटकेगा
निराशा भी पास आएंगी
घबराना मत ठहरना मत
तू चल मंजिल को पाएगी
सब कुछ तुझको हासिल है
तुम सब करने में काबिल हो
हां भीतर तेरे वह ज्वाला है
तुने सब कुछ हीं संभाला है
तेरे राह में कितने कांटे हो
हम मिलकर सबको पाटेंगें
जब पुष्प बिछेगी राहों में
खुशियों को मिलकर बाटेंगे
तेरी खुशियां मेरा सहारा है
मुस्कान जीवन की धारा है
ये पल भी बीत हीं जाएगा
तुम बस जैसी, वैसी रहना
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