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Showing posts from March, 2021

रंगोली

भिन्न रंग का मिश्रण देश पृथक सभ्यता पृथक वेष भाषाएं बोली विविध संस्कृति यहाँ मिश्रित रंग ऐसा की सबको भाए घुलमिल जाए जो भी आए रंगों की ऐसी रंगोली भारत आए जो भी इसमें समाए एकजुट रखती यह रंगोली हर रंग को पहचान है देती खूबसूरती बढ़ाती देश की विविधताएं स्वयं मे समेटी

होली

शिव विवाह से फैली खुशियाँ मौसम नें भी बदली करवट माहौल मस्त सा छाने लगा जल्दी आ जाए अब होली बस फागुन अपने पूरे जोर पर इन फ़िज़ाओं पर गौर कर मौसम हो रहा मनमोहक सब चिंताओं को अब दूर रख आने वाला होली का त्योहार रंग भर लो जीवन में अपार घृणा कर दो इस होली तार-तार प्रेम रंग से सजा लो घर-बार 

हे मनुष्य विजयी तुम होना

चाहे कितना कठिन हो पथ हार मत मानना चलते जाना अडिग उस पथ पर आएगा पड़ाव तुम्हारा अग्निपथ सी राहें हों क्यों न न थकना न निराश होना बढ़ते जाना आगे हर वक़्त कभी भी तुम हताश न होना आ जाएँ चाहे पांव में छाले विश्वास अपना न खोना   अग्निपथ से पथ पर चल के हे मनुष्य विजयी तुम होना   

षड्यंत्र

षड्यंत्र बड़ा ये गहरा हर कोई उलझ है ठहरा कुछ स्थल निर्विवाद रहे अब आनें जानें की बात कहें कुछ राजनितिक कुछ चारित्रिक कुछ बहाना शिष्टाचार का वो चाहते बस रहे सुरक्षित आशियाना घर संसार का क्या जाता प्रेम व्यवहार से अपनेपन के सत्कार से सब मिल सदा साथ चलें संग हमारे राष्ट्र भी बढे

मेरे सपने अब तेरे हैं

मेरे सपने अब तेरे हैं तुम मेरे सच की राह बनो निराशा जब हो जीवन में तुम आ मेरी उत्साह बनो संग कदम मिलाकर साथ चलो मंज़िल की मुझको आस रहे कुछ कर जाने की लगन बने मुझको खुदपर विश्वास रहे ये साथ तुम्हारा हो ऐसा जैसे सूरज संग धरा का मैं तुझसे रहूँ उज्जवल बन रौशनी तू साथ रहे

स्त्री

सृस्टि की जननी अर्धनारीश्वर से जन्मी विश्व में प्रेम अपनापन हेतु स्वयं ईश्वर की परिकल्पना स्त्री समाज में दृढ़ता की परिचायक दृढ़ ह्रदय, सहनशीलता हर क्षण में गंभीरता  सोच में गहराई विश्व की ये नायक सम्मान में निःशब्द हूँ देवियाँ हैं, क्या कहूँ

श्री राम का अयोध्या आगमन

 वो दृश्य बड़ा मनोरम था  जब राम अयोध्या आये थे हर चेहरे पर बस खुशियाँ थीं  हर मन बस मुस्काए थे आंसू भी थे हंसी भी थी भावनाओं का वो सागर था श्री राम का अयोध्या आगमन एक नए जीवन से कम न था मान पिता के शब्दों का आदेश शिरोधार्य रखा यातनाएं कई सहीं पर धर्म सत्य पर अडिग रहे यहीं परिभाषा रामराज्य यहीं कल्पना देश की इंसानियत से बढ़कर और नहीं सोच कोई

प्रेम के बोल

कहना चाहता हूँ, कुछ प्रेम के बोल ह्रदय के अपने, हर द्वार खोल सुंदरता तुम्हारी, लगे मुझे अनमोल कोयल जैसी बोली, जाती रस घोल स्वभाव तुम्हारा, बहुत मुझे भाता देखने को तुम्हें, विवश कर जाता जीवन में होता, खुशियों का संचार देखता हूँ जब, तुम्हारे चेहरे की मुस्कान अपने भी ह्रदय के, हर द्वार खोल समझ ले मेरे, मन की बोल