षड्यंत्र

षड्यंत्र बड़ा ये गहरा

हर कोई उलझ है ठहरा

कुछ स्थल निर्विवाद रहे

अब आनें जानें की बात कहें


कुछ राजनितिक कुछ चारित्रिक

कुछ बहाना शिष्टाचार का

वो चाहते बस रहे सुरक्षित

आशियाना घर संसार का


क्या जाता प्रेम व्यवहार से

अपनेपन के सत्कार से

सब मिल सदा साथ चलें

संग हमारे राष्ट्र भी बढे

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