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Showing posts from November, 2020

भारत की देन

  ।।  भारत की देन    ।। पवित्र धरा बहती माँ गंगा मन ज्यों हिमालय पर्वत विशाल उन्मुक्त महासागर तीन दिशाएं उर्वर मिट्टी आनंदित स्वभाव पहचान भारत की भावनाएं सर्वदा यहीं सब सिखलाते हाँथ जोड़ अभिवादन करते चरण स्पर्श आशीर्वाद बड़ों के सभ्यता संस्कृति पुरानी युगों युग की यहीं कहानी आदर प्रेम सदा की बातें भारत की पहचान बताते धर्म कर्म योग ध्यान विचार विज्ञान गणित चिकित्सा संस्कार विश्व को भारत की भेंट भारत की पहचान अनेक

जीवन के कठिन इन राहों पर

  जीवन के कठिन इन राहों पर Platelets   ।।  जीवन के कठिन इन राहों पर    ।। लड़ते भी गए, जूझते भी गए   जीवन के कठिन इन राहों पर उठते भी रहे, बनते भी रहे डटना ही था और करते क्या कई लोग मिले जो अपने से कुछ ऐसे भी जो थे अलग   उँगलियों को कुछ नें पकड़ा था पत्थर भी बिछाया था कुछ नें गर सोच सही, विश्वास जो हो कर्म ऐसा की न द्वेष जिसमें  तो वक़्त औषध है बन जाता राहों के काँटे हटते तब नभ के तारों सा अडिग रहें चंद्रमा सी हो शीतलता सूर्य सी अग्नि हो मन में विस्तारता स्वयं समुद्र सा कठिनाइयाँ मिट जाएँगीं पुष्पों की होगी राहें तब सब सोच की परिकाष्ठा विश्वास का आधार है

Platelets

Platelets   ।।  Platelets   ।। अंश हूँ मैं रक्त का साथी हर वक़्त का कोशिकाओं का मैं टुकड़ा हूँ प्रोटीन का ही मुखड़ा हूँ वाहिकाएं जो क्षतिग्रस्त हो आप न त्रस्त हों मैदान में आता तुरंत रक्तश्राव का करता अंत कमी जो मेरी आपमें कठिनाइयों को भाँप लें वृद्धि का उपाय हो दूध, हरी सब्ज़ियाँ प्रायः हों अर्क पपीते के पत्ते का, अनार का हो बीज साथ ज्वारे गेंहू के, कद्दू एवं बीज उसके सेवन निम्बू पानी का, साथ लें आवँला चुकंदर घृत कुमारी रस, सेवन में लाएं पालक

त्योहारों का परिहास

त्योहारों का परिहास   NAVNEET ।।  त्योहारों का परिहास   ।। ये हमारे ऊपर है की हम कैसे देखते हैं अपनें त्योहारों को अपनें संस्कारों को कैसे परंपराओं का साथ हैं देते  कैसे अपनों को विश्वास हैं देते  कैसे आदर करते पूजन विधि का कैसे संजो कर रखते अपनें निधि को  इतना तो आभास हो इनका न परिहास हो कम से कम इतना भाँप लें आईनें में स्वयं को झाँक लें आपकी ये गलतियाँ  विरोधियों को बल देतीं हैं आपके विरोध के मायने क्या आप तो स्वयं छल करते हैं - नवनीत  

दीपावली- कोई क्या इन्हें बतलाएंगें

कोई क्या इन्हें बतलाएंगें NAVNEET ।।  दीपावली-   कोई क्या इन्हें बतलाएंगें   ।। दीपावली का रंग हो कैसा श्री राम स्वयं समझाते हैं सजी अयोध्या जिस तरह से दीवाली वैसी भक्त मनाते हैं मिटटी के दीपक जले थे हर्ष हर एक मुख पर था आश्विन की अमावस्या को पूर्ण अयोध्या जगमग था सकारात्मक प्रकाश हेतु जीवन में छाँटने नकारात्मकता का अंधकार समस्त लोग संग थे उस पल उमर रहा था ह्रदय में प्यार राम राज्य की नींव पड़ी थी माँ लक्ष्मी का जन्मदिवस निर्वाण लिया था वर्धमान महावीर नें कृष्ण सत्यभामा ने किया नारकासुर वध दिवस पूजन का, दिवस स्मरण का  भक्तगण घर घर दीपक जलाएगें निषेध पटाखों से स्वयं रखेंगें कोई क्या इन्हें बतलाएंगें - नवनीत