त्योहारों का परिहास

त्योहारों का परिहास  

NAVNEET

।। त्योहारों का परिहास  ।।


ये हमारे ऊपर है
की हम कैसे देखते हैं
अपनें त्योहारों को
अपनें संस्कारों को

कैसे परंपराओं का साथ हैं देते 
कैसे अपनों को विश्वास हैं देते 
कैसे आदर करते पूजन विधि का
कैसे संजो कर रखते अपनें निधि को 


इतना तो आभास हो
इनका न परिहास हो
कम से कम इतना भाँप लें
आईनें में स्वयं को झाँक लें

आपकी ये गलतियाँ 
विरोधियों को बल देतीं हैं
आपके विरोध के मायने क्या
आप तो स्वयं छल करते हैं

- नवनीत 


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