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Showing posts from October, 2022

इनकार

छुप छुप यूं रहती हो क्यों कह दो अगर इनकार है क्यों तड़पाना मुझे हर पल अगर न मुझसे प्यार है मुझे समझ खिलौना तुम यूं खेलना अब छोड़ दो संजो नहीं सकती अगर तो मेरे दिल को तोड़ दो छोड़ जाओ साथ तुम  अगर नहीं विश्वास है कदम कदम संग चलनें का न तुमको जब आभास है तेरे लिए सब कुछ किया जो कुछ भी मेरे बस में था कदम कदम पर साथ दिया कभी भी मैं विवश न था विश्वास था तू साथ है तुमको मूझपर विश्वास है कर इस्तेमाल छोड़ दिया दिल मेरा तुमनें तोड़ दिया हां मुझमें ही कमी रही तुम्हें न मैं पहचान सका किया भरोसा इस क़दर न कभी तुझको जान सका तुम्हारी खुदगर्जी को मैं क्यों प्यार हीं समझता रहा किस्मत का मेरे दोष क्या जो भी किया, सही किया जाता हूं ये पर याद रख अभी भी तेरे साथ हूं अभी भी प्यार दिल में है अब भी तेरा विश्वास हूं

चांद भी मुस्कुराएगा

नींद से अपनी उठकर जब आसमां पर चांद आएगा तुम्हें देखेगा जमीं पर तब उसी पल छुप वो जाएगा खो जाएगा वो बादल में घने कोहरे की आंचल में वो चुपके से जरा हटकर तुम्हें छुपकर निहारेगा वो सोचेगा तू कौन है बनाया किसने है तुझको अपनी सुन्दरता पर इतराना वो उस पल भूल जाएगा न मुझसा है हसीं कोई क्यों तुझपें पर जमीं खोई सोचकर तेरे बारे में मौन वो मुस्कुराएगा बिखेरेगा जब चांदनी को तेरे चेहरे की रौशनी को देख वो चांद खोएगा जब चांदनी मुस्कुराएगी कहानी याद आएगी जवानी याद आएगी दीवानेपन के सब किस्से चांद को तब रुलाएगी  वो आंसू मोती तब बनकर  तेरे पहलू में आएंगे समेटोगी उसे जब तुम चांद फिर मुस्कुराएगा वो तेरे साथ तब होगा हां वो पल भी गजब होगा दो चंदा साथ आएंगे जमीं भी मुस्कुराएगी

बेचैनी

मेरी बेचैनी को जिस दिन समझ जाओगी तुम प्रियतम तुम्हें मैं याद आऊंगा ख्यालों में तेरे हरदम तुम कब तक मुंह को मोरोगी कहां तक तन्हा छोड़ोगी कभी तो पास आओगी बनोगी तुम मेरी हमदम चाहत को मेरी जब तक तु दिल में न उतारेगी  बताओ अपनी बेचैनी को खुद कैसे संभालोगी कोई तो चाहिए तुझको जो तेरे साथ हो हरपल तुम्हें चाहे, तुम्हें समझे न मुझसा कोई पाओगी सुनो, समझो मेरी बातें मेरी कसमें, मेरे वादे ये ऐसे हीं न आए हैं सदा इनको निभाऊंगा तू जब भी राह से भटके तुझे आकर संभालूंगा की तुमको बाहों में भर कर हर मुश्किल से निकालूंगा मेरी जब याद आएगी तुम्हारे पास आऊंगा दो ये जिस्म अलग तो क्या तुम हरपल मुझको पाओगी की मेरे साथ को जिस दिन समझ जाओगी तुम प्रियतम तो केवल मुझको हीं चाहोगी बनाओगी अपना हमदम

तुम

तेरी चाहत में, मेरा हाल यूं है क्यों खोया रहता हूं, बेचैनी क्यों है क्यों तुम मेरा हाल, समझती नहीं हो या समझती हो तुम पर, कुछ कहती नहीं हो कब तक छुपाओगी अपनी बेचैनी कब तक मुझे यूं हीं तड़पाओगी मुझको यकीं है मगर एक दिन एक दिन तुम मेरे पास आओगी न मालूम मुझको क्या तेरे इरादे हैं कुछ ऐसी कसमें हैं, कुछ ऐसे वादे हैं जो तुमने किया तो नहीं है मगर किए बिन हुआ मुझपे क्यों यूं असर क्यों लगता मुझे, बस मुझे चाहती हो मुझमें खोई रहती, मुझे मांगती हो मैं हीं हर पल आता हूं, यादों में तेरे रातों में दिनों में, शाम हों या सवेरे न जानें ये चाहत, क्या रंग लाएगी तुम मेरी बनोगी, बिछड़ जाओगी क्या मेरी किस्मत में, मैं ये न जानूं तुम्हें अपना समझूं, तुम्हें अपना मानूं तुम्हें पाने को कुछ भी कर सकता हूं जीता तुम्हीं पे, तुमपे मर सकता हूं मेरी हद है क्या, तुमको क्या है पता मिला तुमसे जबसे हूं खुद से लापता कहूं और क्या, तुम समझती हो सब कुछ क्या मेरी खुशियां, और क्या हीं मेरे दुःख आगाज़ तू, मेरा अंजाम तू है तू मेरा सब कुछ, मेरी आरजू है बन जाओ मेरी, दुआ मांगता हूं की मैं खुद से ज्यादा, तुम्हें चाहता हूं मेरा नाम क्...