बेचैनी

मेरी बेचैनी को जिस दिन
समझ जाओगी तुम प्रियतम
तुम्हें मैं याद आऊंगा
ख्यालों में तेरे हरदम

तुम कब तक मुंह को मोरोगी
कहां तक तन्हा छोड़ोगी
कभी तो पास आओगी
बनोगी तुम मेरी हमदम

चाहत को मेरी जब तक
तु दिल में न उतारेगी 
बताओ अपनी बेचैनी
को खुद कैसे संभालोगी

कोई तो चाहिए तुझको
जो तेरे साथ हो हरपल
तुम्हें चाहे, तुम्हें समझे
न मुझसा कोई पाओगी

सुनो, समझो मेरी बातें
मेरी कसमें, मेरे वादे
ये ऐसे हीं न आए हैं
सदा इनको निभाऊंगा

तू जब भी राह से भटके
तुझे आकर संभालूंगा
की तुमको बाहों में भर कर
हर मुश्किल से निकालूंगा

मेरी जब याद आएगी
तुम्हारे पास आऊंगा
दो ये जिस्म अलग तो क्या
तुम हरपल मुझको पाओगी

की मेरे साथ को जिस दिन
समझ जाओगी तुम प्रियतम
तो केवल मुझको हीं चाहोगी
बनाओगी अपना हमदम

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