तुम
तेरी चाहत में, मेरा हाल यूं है
क्यों खोया रहता हूं, बेचैनी क्यों है
क्यों तुम मेरा हाल, समझती नहीं हो
या समझती हो तुम पर, कुछ कहती नहीं हो
कब तक छुपाओगी अपनी बेचैनी
कब तक मुझे यूं हीं तड़पाओगी
मुझको यकीं है मगर एक दिन
एक दिन तुम मेरे पास आओगी
न मालूम मुझको क्या तेरे इरादे हैं
कुछ ऐसी कसमें हैं, कुछ ऐसे वादे हैं
जो तुमने किया तो नहीं है मगर
किए बिन हुआ मुझपे क्यों यूं असर
क्यों लगता मुझे, बस मुझे चाहती हो
मुझमें खोई रहती, मुझे मांगती हो
मैं हीं हर पल आता हूं, यादों में तेरे
रातों में दिनों में, शाम हों या सवेरे
न जानें ये चाहत, क्या रंग लाएगी
तुम मेरी बनोगी, बिछड़ जाओगी
क्या मेरी किस्मत में, मैं ये न जानूं
तुम्हें अपना समझूं, तुम्हें अपना मानूं
तुम्हें पाने को कुछ भी कर सकता हूं
जीता तुम्हीं पे, तुमपे मर सकता हूं
मेरी हद है क्या, तुमको क्या है पता
मिला तुमसे जबसे हूं खुद से लापता
कहूं और क्या, तुम समझती हो सब कुछ
क्या मेरी खुशियां, और क्या हीं मेरे दुःख
आगाज़ तू, मेरा अंजाम तू है
तू मेरा सब कुछ, मेरी आरजू है
बन जाओ मेरी, दुआ मांगता हूं
की मैं खुद से ज्यादा, तुम्हें चाहता हूं
मेरा नाम क्या है, तेरे नाम के बिन
हां मेरी, बस मेरी, बनोगी तुम एक दिन
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