चांद भी मुस्कुराएगा
नींद से अपनी उठकर जब
आसमां पर चांद आएगा
तुम्हें देखेगा जमीं पर तब
उसी पल छुप वो जाएगा
खो जाएगा वो बादल में
घने कोहरे की आंचल में
वो चुपके से जरा हटकर
तुम्हें छुपकर निहारेगा
वो सोचेगा तू कौन है
बनाया किसने है तुझको
अपनी सुन्दरता पर इतराना
वो उस पल भूल जाएगा
न मुझसा है हसीं कोई
क्यों तुझपें पर जमीं खोई
सोचकर तेरे बारे में
मौन वो मुस्कुराएगा
बिखेरेगा जब चांदनी को
तेरे चेहरे की रौशनी को
देख वो चांद खोएगा
जब चांदनी मुस्कुराएगी
कहानी याद आएगी
जवानी याद आएगी
दीवानेपन के सब किस्से
चांद को तब रुलाएगी
वो आंसू मोती तब बनकर
तेरे पहलू में आएंगे
समेटोगी उसे जब तुम
चांद फिर मुस्कुराएगा
वो तेरे साथ तब होगा
हां वो पल भी गजब होगा
दो चंदा साथ आएंगे
जमीं भी मुस्कुराएगी
Comments
Post a Comment