इनकार
छुप छुप यूं रहती हो क्यों
कह दो अगर इनकार है
क्यों तड़पाना मुझे हर पल
अगर न मुझसे प्यार है
मुझे समझ खिलौना तुम
यूं खेलना अब छोड़ दो
संजो नहीं सकती अगर
तो मेरे दिल को तोड़ दो
छोड़ जाओ साथ तुम
अगर नहीं विश्वास है
कदम कदम संग चलनें का
न तुमको जब आभास है
तेरे लिए सब कुछ किया
जो कुछ भी मेरे बस में था
कदम कदम पर साथ दिया
कभी भी मैं विवश न था
विश्वास था तू साथ है
तुमको मूझपर विश्वास है
कर इस्तेमाल छोड़ दिया
दिल मेरा तुमनें तोड़ दिया
हां मुझमें ही कमी रही
तुम्हें न मैं पहचान सका
किया भरोसा इस क़दर
न कभी तुझको जान सका
तुम्हारी खुदगर्जी को मैं
क्यों प्यार हीं समझता रहा
किस्मत का मेरे दोष क्या
जो भी किया, सही किया
जाता हूं ये पर याद रख
अभी भी तेरे साथ हूं
अभी भी प्यार दिल में है
अब भी तेरा विश्वास हूं
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