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Showing posts from January, 2022

सुबह

कहीं खो गई थी अँधेरे में ढूँढ लाया फिर सवेरे नें सूरज की लालिमा नें मुझको तराशा मन में सबके जगी एक आशा आई मैं ले नई सोच, विश्वास मैं सुबह हूँ, दूँगी तुम्हारा साथ संग मेरे, अपनी राह पर चलना लाऊँगी जीवन में उजाला सुबह हूँ, सबको साथ ले चलती हूँ  कुछ कर दिखाने का, विश्वास दे चलती हूँ   

भोले

नशा भोले में होता तो सच, नाचती काशी नशा भक्ति में है उनकी खोया हर एक प्राणी भोले को भंग चढ़ाओ लीन भक्ति में रहो वहीं होता संसार में शिवजी चाहें जो जिन्होनें विषपान किया अमृत औरों को दिया ऐसा कोई हो नहीं सकता जैसे शिव परमपिता उन्होंने भक्तों के लिए कितनें उपकार किए स्वयं पर्वत पे रहे औरों को वरदान दिए गंग जटा में समेटा गले भुजंग धरा खाल धारण है किया भोग विलास त्याग दिया शिव के गर भक्त हो तुम तो न ऐसा काम करो पीना, तो दुःख औरों के हरो न नशा पान करो

हम हैं राही प्यार के

राहें आसान या कठिन डगर डगर बढ़ें चलें थकें रुकें विश्राम कर आगे बढ़ें नए जोश से अविरल यात्रा जीवनपर्यंत सदा हीं मार्ग पर पथिक पड़ाव की ले चाह चले लगे रहे डटे रहे यहीं कथा तो ज़िंदगी हर एक रही राह पे यूँ रहे सफर तो क्या कहें की हम हैं राही प्यार के

मर्ज़ी

नदी का बहना कल कल वो आसमान में बादल बारिश का ये मौसम बूँदें बरसें छम छम नभ में सूरज शर्माए फिर इंद्रधनुष बन आए लबालब तालाब और झीलें पशु पक्षी संग ख़ुशी में मर्जी बारिश का बरसना मर्जी सूरज का चमकना मर्जी बादल यूँ मंडराते मर्जी जल विचरण करते