भोले
नशा भोले में होता तो
सच, नाचती काशी
नशा भक्ति में है उनकी
खोया हर एक प्राणी
भोले को भंग चढ़ाओ
लीन भक्ति में रहो
वहीं होता संसार में
शिवजी चाहें जो
जिन्होनें विषपान किया
अमृत औरों को दिया
ऐसा कोई हो नहीं सकता
जैसे शिव परमपिता
उन्होंने भक्तों के लिए
कितनें उपकार किए
स्वयं पर्वत पे रहे
औरों को वरदान दिए
गंग जटा में समेटा
गले भुजंग धरा
खाल धारण है किया
भोग विलास त्याग दिया
शिव के गर भक्त हो तुम तो
न ऐसा काम करो
पीना, तो दुःख औरों के हरो
न नशा पान करो
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