सफ़र

होता दिल पर असर
जैसा भी रहता सफ़र
राह हर्ष पीड़ा का मेला
बढ़ता जा राही अकेला

पथ मिलेंगे कई तरह के
ये देख तू इनमें न भटके
मोड़ बहुत से आएंगे किंतु
मुड़ना तुम देख समझ कर

रास्ते ये आराम भी देगें
रास्तों में कष्ट भी होगा
रुक न जाना थम न जाना
बढ़ते हुए मंजिल को पाना

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