सच्चाई
कब तक ये आंधियां रोकेगी
किसी कश्ति को मझधार में
साहिल पर ले कर आएगा
नाविक उसको हर हाल में
तरणि तट पर तो आएगी
हरेक कठिनाइयां चीड़ती
गंतव्य वह अपना पाएगी
निष्ठुरता से सदैव जूझती
होगा सहकार पतवार संग
जलधारा संगी बन जाएगी
और संग पड़ाव को पाने में
वो हवा भी साथ निभाएगी
जीवन की राहों में सदैव
मिलेंगे स्नेही भी रिपु भी
सुहृदय मनुज होंगे साथ
देंगें जो हर क्षण विश्वास
जो राह में कंटक लाएंगे
कल पुष्प वहीं बिछाएंगे
पहचान आपकी सच्चाई
यथार्थ से परिचय पाएंगे
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