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Showing posts from February, 2025

सुंदरता

गगन में निकले चाँद जैसा जगमगाते तारे सी सुंदरता  सूर्योदय के झील की जैसे आकर्षक तेरी रमणीयता किरण तेरे चेहरे से चमके भानु से ज्यों चाँद है दमके स्थिरता है पेड़ सी तुझमें तू सुंदर सी कोई वाटिका हो पद्मिनी सरोवर में जैसे  तुम सरस्वती लक्ष्मी सी हो तू पुष्प सी मोहक कोमल धैर्य की परिभाषा तुम हो

दूर

वो मन हृदय में है बसा यथार्थ वो वो ही सपना वो जब भी दूर होता है बहुत नज़दीक होता है इश्क की ये परिभाषा है पाऊं तुझे अभिलाषा है यह मन तेरा है मंदिर सा तू है तो मुझको आशा है तू दूर कितना भी जाएगी  नहीं दूर मुझसे रह पाएगी कर आंख बंद मुस्काओगी  मुझको पास में ही पाओगी जीवन की ये परिभाषा है केवल यह फितूर होता है वो जब नज़दीक होता है सच बहुत हीं दूर होता है

मोह

मन मस्तिष्क खंडित मोह विध्वंस का है कारण मोह लगाव की सदैव हो सीमा भ्रम रहित जीवन बिन मोह  वर्तमान भविष्य विरक्त भरा कर्मफल अनुसार सब होना रखो मोह से पृथक तन मन सदैव जीवन में संतोष संयम करो नहीं प्रदूषित जीवन  त्याग मोक्ष प्राप्त यूँ लक्षण बनाकर दुरी लोभ ईर्ष्या से तनाव मुक्त मन तपोवन

चक्रव्यूह

बड़ा चमत्कारी था चक्रव्यूह  फंस गया जिसमें अभिमन्यु बाहर आने का था बोध नहीं उसे भेदने का था ज्ञान परंतु हो रही चर्चा कैसे बाहर जाएं कैसे चक्रव्यूह तोड़ सब पाएं कहते युधिष्ठिर बढ़ आगे पुत्र संग पीछे हम सारे योद्धा आएं चला वीर तब सबसे आगे थे रौद्र रूप देख शत्रु भागे गोलाकार घूमता चक्रव्यूह चला गया भेदता अभिमन्यु एक दिवस वरदान था जयद्रथ को सब पांडव हारेंगे, छोड़ अर्जुन को था रोक लिया हर एक को उसने साहसी धनुष गदाधारी थे जितने था चला अकेला धर्मपथ पर भेद छः चक्र जा पहुंचा अंदर जहां एक नहीं सात योद्धा थे वह सारे एक से एक भयंकर हो रहा चहुंओर से आक्रमण भटका नहीं पर किंचित मन बाणों से परंतु भेदा हुआ तन पटी शोणित से धरा की कण घेरा गया था हर एक दिशा से यथा व्योम में चंद्रमा निशा से विदित था, वीरगति निकट थी नहीं चेहरे पर भय की रेखा थी मन में तनिक चिंतायुक्त कर्ण मनन हो अंत क्षण में जीवन इस बालक को कष्ट नहीं हो भोंक दिया पल में खंजर को सत्य मार्ग कठिन ही होता बाधाएं अनगिनत हैं रहती बढ़ना है तो बन अभिमन्यु होता नहीं कोई अजातशत्रु

सपना

एक आकर्षक कल हो आनंदित हरेक पल हो रखते बस यहीं कामना सच हो जाए यह सपना बस सकारात्मक मन रहे तो नहीं कोई उलझन रहे सोच यूं कि हैं सारे अपने जुड़े रहें सभी स्वछंद उड़ें सपना मन की भावना विचार को ऐसे ढालना की सब कुछ उत्तम हो सच सपना हर वक्त हो