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यादें

कभी कहती है थम जाओ सोचकर तब कदम उठाओ ले मुझे टटोल परख के तुम है क्या करना समझ जाओ मैं शायद राह दिखलाऊं बांह ले थाम बढ़ी आऊं हम यादें साथ सदा रहतीं जीवन में संग जुड़ी रहतीं भला बुरा को सोचकर भविष्य तुम्हारी देखकर रहेगा कैसा आगे सफ़र  ये यादें हीं तो बताती हैं

धुंध

छुप है जाती धुंध में प्रातः की हल्की धूप आकर्षण अलौकिक  सुदर्शन धरा का रूप ओस की बूंदें पत्तों पे भीनी खुशबू मन मोहे यूं ऊषा पहर में भूमि बादल की चादर ओढ़े छुप यूं आता है सूरज है ढूंढे जैसे शुभ मुहूर्त तिमिर–प्रकाश में द्वंद बैठ मुस्कुराता तब धुंध

मुखौटा

पहन मुखौटा अपनत्व का हृदयाघात करते कुछ लोग मुख पर बोलें प्रेम की बातें नीयत में पर रहती है खोट स्वार्थ हैं साधें साथ रहकर साथ न दें परंतु समय पर अजब गजब है उनका मेल हैं खेला करते केवल खेल मुख मुखौटा मन में मैल हैं अपनों से बढ़ाते बैर मैला जीवन मैला आंचल लाली नेत्र के न हैं काजल