शतरंज
शतरंज बिछाए राहों में
है मन में सोचे चाल कई
मैं निकलूं कैसे बाहर को
मुझे लूटने को तैयार कई
सच्चाई की अब पूछ नहीं
भावनाओं की न कद्र यहां
सही रास्ते में बस पत्थर हैं
चाल चलो बढ़ जाओ यहां
हर राह में शकुनी है बैठा
माहौल यह देखो है कैसा
चलना तुम संभल कर ही
हो माहिर खिलाड़ी तुम भी
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