अभी तो उसकी आंख लगी थी

अभी तो उसकी आंख लगी थी
आने थे उसको स्वप्न सुनहरे
अभी सफ़र अरमानों का था
अभी तो उसकी बांह खुली थी

स्वछंद था उड़ना आसमान में
नाम था करना उसे जहान में
अभी तो पंख फैलाई थी वो
अभी कुछ करने आई थी वो

अभी तो ये आरंभ ही था
अभी तो करना था बहुत
पर गिद्धों की नज़र पड़ी
असमय सबको छोड़ चली

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