बाग बगीचे
यह बाग बगीचे सब यहीं रह जाएंगे
कलियां खिलेगीऔर पुष्प मुस्काएगें
धरा पे खुशबू की होगी बरसात जब
आसमान तक सब हीं मुग्ध हो जाएंगे
एक ऋतु आएगी एक ऋतु जाएगी
बाग बगीचे में नव पुष्प वह लाएगी
फल फूल हों न हों, आभा रहेगी हीं
हर ऋतु आएगी, हर ऋतु जाएगी
जो भी खिलते हैं, वो हीं मुरझाएंगें
सत्य ये जीवन का बतला के जाएंगे
जाओ बिखेर खुशबू इस दुनियां में
यह बाग बगीचे सब यहीं रह जाएंगे
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