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Showing posts from March, 2023

बेशक तुम, मेरी मोहब्बत हो

कहना तो चाहूं, कह नहीं पाऊं बातें दिल की तुम्हें कैसे बताऊं मुझको हर पल, तुम याद आते जहन से मेरी, जा हीं नहीं पाते देखकर खुश तुमको सच ये मन मेरा भी खिलता है तुम्हारे चेहरे की उदासी से गम मुझको भी मिलता है सोचूँ सदा कुछ ऐसा करूं मैं तुम्हारी खुशियों की खातिर की मुस्कान तेरे चेहरे की यूं रहे सदैव हीं तुझमें शामिल सोचूं की तुझमें ऐसे समाऊँ आंचल तुझे मैं ऐसे ओढ़ाऊं ले लूं मैं तेरे हर बूंद आंसू के मुस्कान हीं बस तुम्हें दे जाऊं खिलता है मन, तुम्हें पास पाकर कह दूं तुम्हें क्या तेरे पास आकर मन में तुम्हारे, जो है मन में हमारे न कह पाएं दोनों, न समझें इशारे निगाहों में तेरी, मुझे प्रेम दिखता देखूं कहीं मैं, नज़र तुझपे टिकता कुछ करती हैं बातें आंखें बेचारी हम हैं तुम्हारे और तुम हो हमारी जुड़ा है ये मन इससे संपूर्ण जीवन अर्पण है तुझपे, सदा मेरा तन मन मैंने तो मांगी बस तेरी हीं खुशियां तुम्हें खुश पाकर मुझे चैन मिलता

घृणा

जो घृणा में जी रहा है बस गरल हीं पी रहा है मात्र मन में विष धरा है पूर्ण अब उसका घड़ा है सोच में केवल है अहंकार व्यर्थ उसका सब चीत्कार घृणा औरों से यूं क्यों भला निराशाओं से जीवन भरा वक्त की ये धार है दो धारी तलवार है बस में जिनके कुछ नहीं बस घृणा हीं करते वहीं

कब तक ....

वो कहती है, हम आएंगे, इंतजार तो कीजिए। मेरी याद में, खुद को ज़रा, बेकरार तो कीजिए। घड़ी की सुइयां, बढ़ती हीं जा रही, उनके आने की, ख़बर न आ रही। हमारी ये निगाहें, रास्तों को देखे, हलचल कोई हो तो, आते जाते को देखे। पर जिन्हें आना है, वो आते नहीं, वादा तो करते हैं, पर निभाते नहीं। और हम, इंतजार करते रहते हैं, दिल को, बेकरार करते रहते हैं। ये अदाएं हैं, हुस्न वालो की, कत्ल करते हैं, वे जज्बातों की। मुकरना शायद, उनकी आदत सी है, पलकें बिछाना पर, हमनें भी छोड़ा नहीं। कभी तो मेरा जादू, उनपर भी छाएगा, हां बेचैन होकर वो, मेरी बाहों में आएगा। ये दूरी तब, मिट हीं जाएगी, अभी याद हमें आती है, कल उन्हें हमारी याद आएगी। कब तक छिपाओगे,  अपनें मन के जज्बातों को, प्रेम को मेरे तरपोगे करोगे याद मेरे इरादों को। तुम्हारी बेचैनी तब, तुम्हें पास लाएगी, आकार मेरी बाहों में, सब भूल जाओगी।