बेशक तुम, मेरी मोहब्बत हो

कहना तो चाहूं, कह नहीं पाऊं
बातें दिल की तुम्हें कैसे बताऊं
मुझको हर पल, तुम याद आते
जहन से मेरी, जा हीं नहीं पाते

देखकर खुश तुमको सच
ये मन मेरा भी खिलता है
तुम्हारे चेहरे की उदासी से
गम मुझको भी मिलता है

सोचूँ सदा कुछ ऐसा करूं मैं
तुम्हारी खुशियों की खातिर
की मुस्कान तेरे चेहरे की यूं
रहे सदैव हीं तुझमें शामिल

सोचूं की तुझमें ऐसे समाऊँ
आंचल तुझे मैं ऐसे ओढ़ाऊं
ले लूं मैं तेरे हर बूंद आंसू के
मुस्कान हीं बस तुम्हें दे जाऊं

खिलता है मन, तुम्हें पास पाकर
कह दूं तुम्हें क्या तेरे पास आकर
मन में तुम्हारे, जो है मन में हमारे
न कह पाएं दोनों, न समझें इशारे

निगाहों में तेरी, मुझे प्रेम दिखता
देखूं कहीं मैं, नज़र तुझपे टिकता
कुछ करती हैं बातें आंखें बेचारी
हम हैं तुम्हारे और तुम हो हमारी

जुड़ा है ये मन इससे संपूर्ण जीवन
अर्पण है तुझपे, सदा मेरा तन मन
मैंने तो मांगी बस तेरी हीं खुशियां
तुम्हें खुश पाकर मुझे चैन मिलता

Comments

Popular posts from this blog

अब जाता हूं .....

चक्रव्यूह

वो क्षण