कोपल

शून्य से अनंतता तक
जीवन यात्रा अविरल
यथार्थ किसी वृक्ष सा
उन्नत हो ज्यों कोपल

अल्पव्यस्क सरल निश्छल
न अभिलाषा रहना निश्चल
पनपने हेतु मन व्याकुल सा
बढ़ते रहना, देती यह शिक्षा

नई उमंगें, नई आशाएं
भोगना जग की विपदाएं
पर सदैव हीं बढ़ते रहना
प्रयत्न कोपल सा नित करना

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