किसानी

कुछ यूं रहता था मौसम की
रहती थी फसलों की बहार
खुशहाल किसान और खेती
खुशियों से पूर्ण घर संसार

बरखा हो, गर्मी या की शीत
हर मौसम का अपना संगीत
लहलहाते फसलों से भरा खेत
धरती भी थी गाती मधुर गीत

इंसानों के कुछ करतब से
यूं करवट बदला मौसम ने
मॉनसन का मौसम चला गया
बारिश का आता अब भी संदेश

यूं पर्यावरण से खेल न कर
अब मौसम से तू मेल तो कर
क्या होगा सृष्टि का क्या जानें
इस खतरे को अब तो पहचानें

क्या यहीं भविष्य देंगें बच्चों को
क्या सब कुछ उजाड़ देंगें हम
क्या केवल आज पर है जीना
या उनके लिए कुछ करेंगें हम

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