तुम हो ...
अंत तुमसे, आरंभ तुम हो
शरीर बस मैं, अंश तुम हो
मन मंदिर, हो देवता तुम
कल्पना मैं, आधार तुम हो
तुम हो मेरी जीवनशैली
प्रसाद तुम, मैं हूं हथेली
कर्म का मेरे फल हो तुम
कारक तुम समापक तुम हो
जीवन की ज्योति है तुमसे
राह तुम मैं हूं पथिक बस
लक्ष्य की सिद्धि है तुमसे
साधन मैं, गति तो तुम हो
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