आज़ादी
न कोई सीमा न हीं बंधन
धरती उन्मुक्त स्वछंद गगन
अपनी सोंच पर अपना अधिकार
आज़ादी का बस इतना सार
प्रगति पथ पर चले हर कोई
राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य रहे बस
न्याय, विकास का न हो बंधन
आज़ाद देश आज़ाद हर जन
सच्ची आज़ादी होती
तन मन धन की
चिंतामुक्त हंसमुख
खुशमय जीवन की
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