दोस्ती
मात भ्रात से हो पृथक
सब ज्ञात पर अज्ञात रहा
जिसनें दिया साथ सदा
सर्वदा मित्रता का मान रखा
अजेय था, गौरव था
दुर्योधन का विश्वास था
अद्वितीय अनुपम युद्ध कलाएं
अद्यंत उसका साथ था
आदर्श सुह्रद का बन
रिश्तों से बड़ा था प्रण
बहला सके न श्याम भी
डटा रहा दोस्ती पर कर्ण
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