क्या अब भी

क्या कहती है आंखें
कहां हो तुम खोई
क्यों गुम सा है चेहरा
क्या सपने संजोई

क्या मैं अब भी आता हूं
बता सपनों में तेरे
क्या यादें मेरी अब भी
तुमको रहती है घेरे

क्या अब भी तुम खिड़की से
मुझे खोजती हो
क्या बैठ अकेले में अब भी
मुझे सोचती हो

क्या होंठों पर नाम मेरा
तेरे अब भी आता है
क्या मेरा साथ तुझको
भला अब भी भाता है

मुझे याद कर अब भी
क्या श्रृंगार करती हो
पहले भी चाहती थी
क्या अब भी मरती हो

मेरा हाल क्या है
क्या तुमको पता है
तेरा हाल मुझको
नजर आ रहा है

Comments

Popular posts from this blog

अब जाता हूं .....

चक्रव्यूह

वो क्षण