तुम हो हमारी

पलकों पे आंसू छुपाकर रखे हैं
मन में कुछ सपनेंं दबाकर रखे हैं
रहने दो आंसुओं को आंखों के भीतर
सपनें हों सच, बस कुछ ऐसा करो तुम

तुम्हें चाहता हूं मैं, पर कह न पाऊं
तुम बिन यूं लगता, की अब रह न पाऊं
मेरी सोच थोड़ी, तेरी सोच से इतर
मुझे याद आते हो, बस तुम हीं पल पल

जो सपनें संजोए, जो आंसु दबाए
कहीं टूटे न वो, कहीं बह न जाएं
संभालो तुम इनको, ये हठ है हमारी
की हम हैं तुम्हारे, और तुम हो हमारी

ये विश्वास है कि तुम्हें पाऊंगा मैं
तुझे छोड़ अब न कहीं जाऊंगा मैं
मेरी आस हो, मेरी विश्वास हो तुम
मेरे सपने सच होने की कगार पर हैं

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