मेरे खत से इंकलाब हो

अंतिम तुम ये काम करो

आखिरी मेरे खत से इंकलाब हो

भावनाएं मुझमें भी थीं

जीने की इच्छा प्रबल


पाबंदी-कैद में जीना मगर

मुझे नहीं गवारा अब

हसरतें बहुत थीं मन में

ज़िंदा रहता तो करता पूरी


सौंपे जा रहा देश को

आज़ादी की स्वप्न अधूरी

खत ये एक संदेश मेरा

आबाद रहे ये देश मेरा

Comments

Popular posts from this blog

अब जाता हूं .....

चक्रव्यूह

वो क्षण