उड़ चली
तितली सी उड़ान में
वृक्ष वृक्ष, पुष्प पुष्प
खुशियाँ बाँटती चलूँ
डंटी रहूँ, लगी रहूँ
नीले उस आकाश में
हरी भरी ज़मीन पर
खुली हवा में डोलती
उड़ो, ये सबको बोलती
ये पंख हैं उड़ान को
न राह में विश्राम हो
रंगीन मेरी काया जो
बिखेरती रंगीनियाँ
ये हौसला रखे रहो
की राह पर डंटे रहो
संग मेरे उड़ पड़ो
वन नदी पर्वत चलो
हँसी खुशी के संग में
और चाहतों के रंग में
सभी को साथ ले चली
मैं उड़ चली, हाँ उड़ चली
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