कागज़

लिखी जाती थीं उनमें चिट्ठियाँ
होती काग़ज़ से कितनी बतियाँ
पत्नी वियोग बतलाती थी
माँ संतानों को समझाती थीं

कागज़ जब सीमा पर जाता था
सैनिकों का तब मन हर्षाता था
किताबें कागज़ पर होती थीं
भावनाओं को सँजोती थीं

छू कर ही अनुभव होता था
कागज़ संवेदनाएँ पिरोता था
मात्र केवल शब्द हीं नहीं
कागज़ हृदय सा होता था

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