भारत की बात निराली
भारत की बात निराली
एक सजी हुई फुलवारी
हर रंग के पुष्प यहाँ
महकता हुआ उद्यान
हिम से सागर तक
मरुस्थल से घने वन
जहाँ ऋतुएं सारी आतीं
चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, श्रावण
कई बोली कई भाषा वेशभूषा
संस्कृति सभ्यता रहन सहन
मनोहर जहाँ का वातावरण
साकार जहाँ सबका जीवन
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