सच्चाई

थी थोड़ी सहमी

थी थोड़ी घबराई

बातों में था विश्वास

नाम बताया सच्चाई


बोली, मैं आज भी हूँ

भावनाओं में, सोच में

मुझपर चलना कठिन माना

भविष्य पर संवारुं मैं


मैं अनंत अपार जगत में

मुझमें हीं है गहराई

जिसके संग रहती हूँ मै

ज़िंदगी उसनें हसीन बिताई

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