क़लम
कीमत सच की क़लम से ही क़लम इतिहास बनाता विश्वास उसी पर लोगों को जो क़लम से लिखा जाता कुछ लिखते कुछ बिकते सच्चाई कहाँ अब टिकती वातावरण हुआ प्रदूषित सा क़लम की प्रतिष्ठा डूबती मान क़लम का रहा विश्वास रहा हर जन को वक़्त नें बदल दिया सब कुछ क्या कहें आज के लिखने को
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