पिता

न हैं लेख बहुतेरे

न कविताओं में हीं

पिता की भावनाएँ

रहती ह्रदय में हीं


छांव बनकर हर पल 

मगर न कुछ भी कहते

सफलता की सीढ़ी पर

थाम ऊँगली पहुँचाते


पिता आभास पिता विश्वास

पिता कर्मठता का एहसास

अटूट शक्ति के परिचायक

पिता संतान के नायक


पिता वो राह की जिसमें

मंज़िल की कसक रहती

पिता वो आसमान से हैं

ज़मीन को जो ढकी रहती


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