शाम बनारस

शहर नहीं ये आम बनारस

शनैः शैनः है जाता सूरज

देखो जाकर शाम बनारस

सुहावन लुभावन आकर्षक


कल कल बहती गंगा मइया

जगमगाते घाट चौरास्सी

धीमे खेवे नाव खेवैया

मन लुभाती दिव्य काशी


भव्य आरती मंत्रोचारण

शाम बनारस की मनभावन

परंपरा इतिहास है मस्ती

शाम काशी की दिल में बसती



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