आशा
माना निराशाएं हैं घेरे
माना घनघोर हैं अंधेरे
आशा की किरण भी आएगी
निराशाएं संपूर्ण छँट जिएंगी
वक़्त ज़रा बेरहम तो क्या
ढा रहा जो सितम तो क्या
परीक्षाएं है लेती ये जिंदगी
ग़म भी देती, है देती खुशी
हाँ कुछ अपनेँ चले गए
हाँ कुछ सपनें टूट गए
चलता रहेगा पर ये जीवन
धीरज रखो मनुष्य हरदम
वो उधर उजाले की किरण
वो आकाश धरा का मिलन
धैर्यवान रख तू तन और मन
यहीं सुख दुःख तो है जीवन
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