उठ जा
उठ जा ये घडी परीक्षा की
कुछ कर की राष्ट्र पुकारे अब
लौ जला ह्रदय में अपनेपन का
जो कर सके कर के दिखा
बस मानवता की सोच रहे
सेवा में न संकोच रहे
कठिनाइयों से न डर रहे
जो करना है बस वहीँ करें
सेवा हीं अब बस ध्येय रखें
मन में न तनिक संदेह रखें
उठ जा की कदम बढ़ाना है
न थकना न रुक जाना है
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