रौशनी-अँधेरा

उस राह पर अब भी

दिखती है रौशनी

कुछ पल अँधेरा था

उसका भी बसेरा था


दोनों साथ ही हैं रहते

हर वक़्त हमसे कहते

जीवन में हम दोनों का

संतुलन आवश्यक सा


रौशनी की कीमत तो

अंधकार हीं समझाती

न होता अंधकार तो

रौशनी क्या कह पाती


अंधकार की शीतलता

रौशनी की मार्मिकता से

अंधकार की प्रासंगिकता 

रौशनी की विशेषता से

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