सीताराम ब्याह
सीताराम ब्याह
।। सीताराम ब्याह ।।
जनकपुरी श्री राम चले
विश्वामित्र लक्ष्मण संग
स्वयंवर सीता माँ का
पिता जनक का हर्षित मन
प्रातःकाल उपवन चले
विचरण को प्रभु राम
सीता थी सहेलियों संग
माँ पार्वती पूजन काल
उपवन में थे पुष्प खिले
वातावरण सुगंधित सा
नयन पड़ी एक दूसरे पर
मंत्रमुग्ध ह्रदय दोनों का
मन ही मन पाने की आस
माँ सीता को पूर्ण विश्वास
सहजता से तोडा शिव धनुष
श्री राम का ऐसा अंकुश
खुला नभ आए देवतागण
देनें को आशीर्वाद
मिथिला के हर एक जन में
खुशियों का उत्साह
शुक्ल पक्ष पंचम तिथि
हुआ सीताराम ब्याह
मिलन है जो युगों का
देवों को था आभास
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