समृद्ध अपना देश हो
समृद्ध अपना देश हो
NAVNEET
।। समृद्ध अपना देश हो ।।
सुसुप्त क्यों हो जाग उठो
उठो कि अपना भाग्य लिखो
बदल दो राह राष्ट्र की
दिखा दो इति साथ की
परिश्रम के जोर पर
नई कहानी गढ़नी है
नए उमंग से हमें
शीर्षस्थता नई चढ़नी है
कठिनाइयों को रख अलग
विश्वास से हों अग्रणी
विश्रंभ हो स्वयं पर बस
योग्यता की न कोई कमी
गौरवान्वित इतिहास है
वर्तमान को आभास है
कुछ क्यों न उससे सीखकर
आगे बढ़ें प्रतीत कर
न द्वेष हो न क्लेश हो
हो साथ बस विवेक हो
हर प्राणी हो बस अपना ही
हर कोई हीं विशेष हो
बहे जो धार प्रेम की
आपस के कुशलक्षेम की
हो साथ साथी हर कोई
समृद्ध अपना देश हो
- नवनीत
Comments
Post a Comment