धुप
धुप
NAVNEET
।। धुप।।
लालिमा संग सुबह आती धुप
नभ पर जब छाती धुप
प्रातःकाल शीतलता से
पृथ्वी को नहलाती धुप
धुप किरण आशा की लाती
रात का अंधकार हर जाती
मन में एक विश्वास जगाती
निद्रा आलस्य दूर भगाती
घोंसले से चहचहाती चिड़ियाँ
भोर हुआ बतलाती चिड़ियाँ
हल कंधे किसान रख लेता
नींद से उठ जाती दुनियाँ
- नवनीत
Comments
Post a Comment