तराजू सा संतुलन रखें

तराजू सा संतुलन रखें

NAVNEET


।। तराजू सा संतुलन रखें ।।


भावनाओं को जब समेटें

तराजू सा संतुलन रखें


भार एक पक्ष प्रचुर हो तो

समाज संतुलित रहता नहीं


अनिवार्य नहीं हर रचना में

बातें हों बस धर्म की


कर्म संबंधी ही संदेश दें

एक अनुकूल परिवेश दें


कार्यसूची अधिप्रचार

अपने तक सीमित रखें


समुदाय को जब संदेश दें

बस एकाकी संक्षेप दें


- नवनीत 

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