मोर

मोर

NAVNEET


।। 
मोर ।।


रंग बिरंगे पंख मनमोहक

कितनी सुन्दर काया

वन की शोभा होता मोर
सबके मन को भाता

नाचता जब पंख फैलाए
संग ह्रदय ले जाता

श्री कृष्ण के मुकुट की शोभा
कार्तिकेय का वाहन

कलगी बढाती सर की शोभा
देख हर्षित होता मन

अत्यधिक रमणीय मयूर विहंग
राष्ट्रपक्षी भारत का अंग

- नवनीत

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