भटकते मज़दूर
भटकते मज़दूर
NAVNEET
।। भटकते मज़दूर ।।
NAVNEET
।। भटकते मज़दूर ।।
दुःखों का पहाड़ है टूटा
कष्टमय उनका जीवन है
पर कुछ कर्म-जनों के कारण
जीवन में उनके उजाला है
इंसानियत का कर्म जो करते
कर्म को ही धर्म समझते
ऐसे कुछ लोगों के कारण
भूखे न कुछ लोग हैं सोते
तन मन धन सब अर्पण है
ईश्वर के इंसांनों पर
दिन रात और चारों पहर
जो ज़िंदा हैं बस कर्मों पर
- नवनीत
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