त्याग

त्याग
NAVNEET

।। त्याग  ।।


आपके इस त्याग को
देश का प्रणाम है


आपने हमारे लिए
त्यागे अपने प्राण हैं


मिलता क्या किसी को भला
किसी के प्राण लेकर


इंसानियत को हुआ है क्या
क्यों गिर गए हैं इस कदर


बहुत हुआ, अब त्याग दो
छोड़ दो विनाश को


प्रेम नहीं हो सकता तो
नफरत भी तो मत करो


धर्म मानो इंसानियत को
और क्या रखा भला


- नवनीत

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