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Showing posts from June, 2020

भटकते मज़दूर

भटकते मज़दूर  NAVNEET ।।   भटकते मज़दूर     ।। देख के कष्ट आम जनों का मन मेरा विचलित होता है जिनके पास न रोटी है वो रात में कैसे सोता है छिन गई है रोज़ी जिनकी पास न है कुछ खाने को जाना चाहें अपने घर वो साधन नहीं पर जाने को समस्त परिवार टूट गया है महामारी की बेचैनी में सूझ रहा नहीं अब कुछ भी आगे रखा क्या जीवन में दुःखों का पहाड़ है टूटा कष्टमय उनका जीवन है पर कुछ कर्म-जनों के कारण जीवन में उनके उजाला है इंसानियत का कर्म जो करते कर्म को ही धर्म समझते ऐसे कुछ लोगों के कारण भूखे न कुछ लोग हैं सोते तन मन धन सब अर्पण है ईश्वर के इंसांनों पर दिन रात और चारों पहर जो ज़िंदा हैं बस कर्मों पर - नवनीत

त्याग

त्याग NAVNEET ।।   त्याग    ।। आपके इस त्याग को देश का प्रणाम है आपने हमारे लिए त्यागे अपने प्राण हैं मिलता क्या किसी को भला किसी के प्राण लेकर इंसानियत को हुआ है क्या क्यों गिर गए हैं इस कदर बहुत हुआ, अब त्याग दो छोड़ दो विनाश को प्रेम नहीं हो सकता तो नफरत भी तो मत करो धर्म मानो इंसानियत को और क्या रखा भला - नवनीत

खून सभी का खौला है

खून सभी का खौला है  NAVNEET ।। खून सभी का खौला है  ।। खून सभी का खौला है ये वक़्त अभी कुछ ऐसा है बदलें हैं अब सब मायने अब फिर से ह्रदय में क्रांति है वो दुश्मन जो की सीमा पर कल सीना ताने रहता था अब काँप रहा है वो थर्र थर्र अब जवाब मिला उसे हर पल हम शांति के परिचायक हैं हम अपनेपन के नायक हैं हाँ हमको प्यारी इंसानियत पर छेड़ोगे तो न छोड़ेंगें ये धरती है श्री राम की श्री कृष्ण गौतम बुद्ध की गुरु नानक जी गुरु गोविन्द जी ये आकलन सबका जानती है जब शांत हैं तब शांत हैं जब उठ जाएँ तब क्रांति है अब निकाल दो अपने मन से भारत के विषय में जो भ्रान्ति है जब सहते थे न कहते थे अब वक़्त है बदला जान लो - नवनीत