खून सभी का खौला है

खून सभी का खौला है 
NAVNEET

।। खून सभी का खौला है  ।।

खून सभी का खौला है ये वक़्त अभी कुछ ऐसा है बदलें हैं अब सब मायने अब फिर से ह्रदय में क्रांति है वो दुश्मन जो की सीमा पर कल सीना ताने रहता था अब काँप रहा है वो थर्र थर्र अब जवाब मिला उसे हर पल हम शांति के परिचायक हैं हम अपनेपन के नायक हैं हाँ हमको प्यारी इंसानियत
पर छेड़ोगे तो न छोड़ेंगें ये धरती है श्री राम की श्री कृष्ण गौतम बुद्ध की गुरु नानक जी गुरु गोविन्द जी ये आकलन सबका जानती है जब शांत हैं तब शांत हैं जब उठ जाएँ तब क्रांति है अब निकाल दो अपने मन से भारत के विषय में जो भ्रान्ति है जब सहते थे न कहते थे अब वक़्त है बदला जान लो

- नवनीत

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